वत्स Speak Asia की चिंता मत कर , कर्म करता चल . . .
जो हुआ , वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा।
भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नष्ट हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। तुमने जो लिया, यहीं से लिया। जो दिया, इसी को दिया।
जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
क्यों व्यर्थ चिंता करता है, वत्स Speak Asia की चिंता मत कर , कर्म करता चल . . .
भगवन : अगर तुम वोह करोगे जो तुम चाहते हो तो होगा वही जो मैं चाहता हूँ , अगर तुम वोह करोगे जो मैं चाहता हूँ तो होगा वही जो तुम चाहते हो …………
************ सत्य मेव जयते ************
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